भारत में आस्ट्रेलियाई कानून लागू हो जाए तो, वोटिंग परसेंटेज का रोना ही खत्म हो जाएगा

भारत में आस्ट्रेलियाई कानून लागू हो जाए तो, वोटिंग परसेंटेज का रोना ही खत्म हो जाएगा



*ऑस्ट्रेलिया /  आज आम चुनाव: 95 साल पहले बना अनिवार्य मतदान का नियम, कभी 91% से कम वोट नहीं पड़े l*


1924 में देश में पहली बार अनिवार्य वोटिंग का नियम लागू किया गया थाएक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस नियम की वजह से आम नागरिक राजनीति से जुड़े रहते हैंऑस्ट्रेलिया में 1993 में सीनेट चुनावों में 95% से ज्यादा वोट पड़े थे l



ऑस्ट्रेलिया में 1924 में पहली बार अनिवार्य मतदान के नियम बनाए गए थे। इसके बाद कभी देश का वोटर टर्नआउट 91% से नीचे नहीं गया है। अध्ययन के मुताबिक, इन प्रावधान के बाद लोगों ने भी बढ़-चढ़ कर देश की राजनीति में हिस्सा लेना शुरू किया है। 


 


वोट नहीं दिया तो कोर्ट के चक्कर काटने पड़ सकते हैं
ऑस्ट्रेलिया में वोटिंग के लिए रजिस्ट्रेशन और वोटिंग करना दोनों ही कानूनी कर्तव्यों में शमिल है। इसका मतलब 18 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति के लिए वोट करना जरूरी है। वोटिंग न करने पर सरकार मतदाता से जवाब मांग सकती है। संतोषजनक जवाब या कारण न मिलने पर उस पर 20 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 1000 रुपए) का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा उसे कोर्ट के चक्कर भी काटने पड़ सकते हैं। 


 


अनिवार्य वोटिंग को आजादी के खिलाफ मानते हैं विरोधी
अनिवार्य वोटिंग के विरोधियों का कहना है कि यह लोकतंत्र के मूलभूत आधार- आजादी के खिलाफ है, यानी इसमें नागरिक की मर्जी नहीं चलती। हालांकि, इस सिस्टम के समर्थक कहते हैं कि नागरिकों को देश के राजनीतिक हालात से जरूर परिचित होना चाहिए। इसके अलावा सरकार चुनने में जनता की भागीदारी भी काफी अहम है। 


 


खास बात यह है कि नागरिक भी अनिवार्य वोटिंग को गंभीरता से लेते हैं। इसी के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (55%) और यूके (70%) के मुकाबले वहां वोटिंग प्रतिशत काफी बेहतर रहता है। 1994 में तो देश का वोटर टर्नआउट 96.22% तक जा चुका है। 95 सालों के इतिहास में ऑस्ट्रेलिया में वोटर टर्नआउट कभी 91% के नीचे नहीं गया। 


*एक सशक्त सरकार के लिए वोट जरुर दें l*