पितृपक्ष पर इस बार कोरोना का साया रहेगा। पुजारी घर पर ब्रह्मभोज करने नहीं आएंगे। पितृपक्ष एक सितंबर से शुरू हो रहे हैं। इस बार कोरोना के कारण पुरोहित व ब्राह्मण घर पर ब्रह्मभोज से दूरी बना रहे हैं। दूसरी ओर कुछ पंडित ऑनलाइन श्राद्ध के लिए भी आमंत्रित किए जा रहे हैं। इन्हें भुगतान भी ऑनलाइन ही होगा।
ऑनलाइन श्राद्ध कर्म के लिए बुकिंग
श्राद्ध कर्म में सोशल डिस्टेंसिंग के चलते बड़ी संख्या में पुरोहितों की ऑनलाइन बुकिंग की जा रही है। पंडित रामाज्ञा दूबे बताते हैं कि कई श्रद्धालुओं ने उनसे संपर्क किया है वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए श्राद्धकर्म संपन्न कराएंगे। श्रद्धालु दक्षिणा का भुगतान भी ऑनलाइन ही करेंगे। पंडित श्रवण झा ने बताया कि कोरोना के चलते शहर के मंदिर नहीं खुल रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए कुछेक मंदिरों में दर्शन कराए जा रहे हैं। ऐसे में श्राद्ध कर्म में भी सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए ऑनलाइन ही श्राद्ध कर्म कराए जाएंगे। कुछ श्रद्धालुओं ने पहले से ही समय ले लिया है।
ऐसे करें घर में श्राद्ध
’ मानसिक संकल्प को पितरों का नाम लेकर ध्यान करें।
’ पंचवली यानि पितरों, कौवे, कुत्ते, चींटी व ब्राह्मण का भोजन निकाल यथास्थान पहुंचाएं।
’ सूर्योदय से पहले कुशा से पितरों को जल अर्पित करें। इससे अक्षय प्राप्ति होती है।
’ पितरों के निमित्त विष्णु सहस्रनाम व रामचरितमानस का पाठ करें।
’ काले तिल डालकर जल को पीपल को अर्पण करें।
’ पूर्णमासी के दिन सामर्थ्य अनुसार श्रीमद्भागवत कथा की पोथी को सजाकर ब्राह्मण को दान दें।
कुष्ठ आश्रम व वृद्ध आश्रम में भेजें भोजन, करें दान
इस बार पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा शांति को विधान करने के लिए श्रद्धालु पंडितों के ना मिलने से व्याकुल हैं।
भौतिक रूप से पुरोहितों की उपस्थिति ना होने के कारण वह भोज किसे कराएं इसके लिए भी पुरोहितों से राय ले रहे हैं। पंडित श्रीकांत शर्मा कहते हैं कि घर में श्रद्धा के साथ श्राद्ध कर्म करें। एक थाल में ब्रह्म भोज निकालकर कौवे, कुत्ते और गाय का ग्रास भी निकालें।
इसके बाद जरूरतमंदों को भोजन वितरित कर दें। पंडित विनोद त्रिपाठी ने बताया कि कोरोना के कारण पुरोहित ब्रह्मभोज से दूरी बना रहे हैं। ऐसे में वृद्ध आश्रम, कुष्ठ आश्रम, अनाथालय एवं जरूरतमंदों को भोजन व जरूरी सामान देकर पितरों की आत्मा शांति की प्रार्थना करें।
श्राद्ध के एक महीने बाद शुरू होंगे नवरात्र
विभोर इंदुसुत कहते हैं कि इस बार तीन सितंबर से एक अक्टूबर तक प्रथम अश्विन माह होगा और 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक द्वितीय अश्विन माह होगा। इन दो अश्विन महीनो में से शुरू के 15 दिन और अंतिम 15 दिन शुद्ध अश्विन माह होगा और बीच वाले तीस दिन (18 सितंबर से 16 अक्टूबर के बीच) पुरुषोत्तम मास होगा जिसके आधार पर पितृ पक्ष (श्राद्ध) तो 2 सितम्बर (भाद्रपद पूर्णिमा) से 17 सितम्बर (प्रथम अश्विन अमावस्या) तक रहेगा लेकिन नवरात्र श्राद्ध समाप्त होने के एक महीने बाद 17 अक्टूबर से शुरू होंगे। 25 अक्तूबर तक रहेंगे।