सीआरपीएफ की पहल, नक्सलगढ़ में खोला देश का पहला पशु चिकित्सालय

बीजापुर। छत्तीसगढ़ के सुदूर बीजापुर जिले के गांवों में वेटनरी डॉक्टर की कोई व्यवस्था न होने से ग्रामीण अपने पशुओं का उपचार नहीं करा पाते थे। अब सीआरपीएफ ने पहली बार गंगालूर इलाके के पामलवाया में पशु चिकित्सा केंद्र की स्थापना की है।



   पहले दिन अस्पताल खुला तो सैकड़ों आदिवासी अपने बैल, बकरी, मुर्गे, कुत्ते आदि लेकर पहुंच गए। सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत सीआरपीएफ बर्तन, कपड़े बांटना, खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करना जैसे काम पहले से करती आ रही है। पशु औषधालय देश में पहला है जिसे सीआरपीएफ ने खोला है। सीआरपीएफ के एक अफसर पशु चिकित्सक हैं, जो ड्यूटी के साथ इस अस्पताल में अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं।


सीआरपीएफ की 85 बटालियन द्वारा सोमवार को पामलवाया में कैम्प लगाया गया और आसपास के गांवों के लोगों के लिए पशु परामर्श केन्द्र का उद्घाटन किया गया। इस मौके पर 85 बटालियन के कमाण्डेंट सुधीर कुमार, द्वितीय कमान अधिकारी हरविंदर सिंह, सहायक कमाण्डेंट संजीत पाण्डे, डॉ मनीर खान एवं एमटीओ बृजेश कुमार पाण्डे मौजूद थे।


  


सीओ सुधीर कुमार ने बताया कि जिला मुख्यालय से ये इलाका काफी दूर है और मवेशियों को ले जाने में पशुपालकों को दिक्‍कत होती है। त्वरित उपचार एवं परामर्श के लिए यहां केन्द्र खोला गया है। सोमवार को कैम्प में आसपास के गांवों के कई लोग बकरी, गाय आदि मवेशी लेकर आए थे। सहायक कमाण्डेंट डॉ मनीर खान खुद पशु चिकित्सक हैं और वे पंजाब सरकार को सेवा दे चुके हैं। इस केन्द्र में वे ही पशुओं का इलाज कर रहे हैं।


   डॉ मनीर खान के मुताबिक इस इलाके के सभी मवेशियों में कुपोषण की समस्या है। उन्होंने बताया कि इस वजह से एक बाछा या बाछी का जन्म देने के बाद दूसरे गर्भधारण में लंबा गैप हो जाता है। दूसरे शब्दों में गायों के गर्भधारण की साइकिल अनियमित हो गई है। केयर नहीं कर पाना भी एक वजह है। मिनरल्स की कमी की वजह से सूअर का वजन आयु के मान से नहीं बढ़ पा रहा है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जर्सी एवं अन्य नस्लों की गायों को पालने के लिए अपार संभावना है क्योंकि यहां चारे की कमी नहीं है।


  


सूअर में एक तरह का कीड़ा टिक्स देखा गया है। इस क्षेत्र में ये परजीवी सूअर का खून चूसता है। ये बारिश में ज्यादा होता है क्योंकि तब आर्द्रता अधिक होती है। गर्मी में ये कम होता है। इसके लिए दवा दी जा रही है। डॉ मनीर ने बताया कि सभी मवेशियों में कृमि की समस्या अधिक है और इसके लिए दवाएं दी जा रही हैं। डाएट ठीक करने के लिए कैल्शियम की गोली और सिरप की बोतलें दी जा रही हैं। गाय और बकरी में ज्वर भी रिपोर्ट किया गया। उनका उपचार किया जा रहा है।


कमाण्डेंट सुधीर कुमार ने बताया कि आसपास के गांवों के लोगों के लिए ये सुविधा दी गई है। कोई भी आकर अपने मवेशियों का उपचार करवा सकता है। दवाएं परामर्श केन्द्र में उपलब्ध करवा दी गई हैं। बटालियन का मकसद ग्रामीणों में जागरूकता लाना और उनकी कमाई को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पशुधन भी कमाई का एक बड़ा जरिया बना है।