पुलवामा हमले का 13वां दिन, 200 घंटे की योजना और दो मिनट तक बमबारी*
भारत ने करीब पांच दशकों में पहली बार सीमा पार कर हवाई हमले किए हैं.

    

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के सबसे बड़े आतंकी कैंप पर मंगलवार तड़के भारतीय वायुसेना के हमले की योजना बनाने में 200 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा. मंगलवार तड़के 3:45 बजे शुरू हुआ यह ऑपरेशन सुबह 4:05 बजे तक चला. यूं तो यह ऑपरेशन 20 मिनट तक चला, जिसमें जैश के कैंप पर करीब दो मिनट पर बमबारी चली और जैश का कैंप पूरी तरह तबाह हो गया.

 

भारत में किसी भी स्थान पर दूसरे आत्मघाती हमले से जुड़ी खुफिया जानकारी मिलने के बाद इस एयर स्ट्राइक की योजना शुरू हुई थी. उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आत्मघाती हमले के महज दो दिनों बाद सरकार को कई और आत्मघाती हमलों की प्लानिंग से जुड़ी खूफिया जानकारी मिली थी.

 

सूत्रों ने कहा कि इस खूफिया जानकारी में भारत के किसी भी हिस्से में अन्य आत्मघाती हमले के बारे में चेतावनी दी गई थी, जिसके पुलवामासे भी ज्यादा बड़ा होने की बात कही गई थी. जानकारी मिलने के तुरंत बाद सरकार के शीर्ष अधिकारियों एवं संबंधित मंत्रियों, सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच सिलसिलेवार बैठकें हुईं, ताकि जेईएम आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.

 

पाकिस्तान समर्थित आतंकी शिविरों पर हवाई हमले करने का अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया. जिसमें गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, डोभाल और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ मौजूद थे.

 

सूत्रों ने कहा, 'बैठक में आतंकी शिविरों पर हवाई हमले करने का फैसला किया गया. क्योंकि पुलवामा हमले में शहीद सुरक्षाकर्मियों का बदला लेने और भारत में किसी भी हमले की साजिश रचने वाले जेईएम को तगड़ा झटका देने का यही एकमात्र विकल्प था. हवाई हमले के लिए 200 से ज्यादा घंटों तक योजना बनाई गई. जिसमें सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया.'

 

सूत्रों ने कहा, 'फैसला किया गया था कि बदला पुलवामा हमले के 13वें दिन लिया जाएगा, जो जम्मू एवं श्रीनगर राजमार्ग पर 78 वाहनों के काफिले पर आत्मघाती हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी.' अन्य सूत्रों ने बताया कि इस एयरस्ट्राइक में शामिल 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के पीछे 16 सुखोई लड़ाकू विमान थे, जिन्होंने नियंत्रण रेखा पार करके कई आतंकी शिविरों को निशाना बनाया. मंगलवार तड़के 3:45 बजे शुरू हुआ यह ऑपरेशन सुबह 4:05 बजे तक चला. यूं तो यह ऑपरेशन 20 मिनट तक चला, जिसमें जैश के कैंप पर करीब दो मिनट पर बमबारी चली और जैश का कैंप पूरी तरह तबाह हो गया. भारत ने करीब पांच दशकों में पहली बार सीमा पार कर हवाई हमले किए हैं.