कोरोना के इलाज में आजमाई जाएगी फैविपिराविर और हर्बल दवाएं, क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी

नई दिल्ली. नोवेल कोरोना वायरस (Coronavirus) का इलाज ढूंढने में दुनिया के कई देश लगे हुए हैं. भारत में भी कई कंपनियां इसकी संभावित दवाओं को लेकर टेस्टिंग कर रही है. इस बीच ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने एंटी वायरल दवा फैविपिराविर (Favipiravir) के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है. सीएसआईआर की लैब में इसे विकसित किया गया है. ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया के जनरल डायरेक्टर शेखर मंडे ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी.


शेखर मंडे ने कहा कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (IICT) हैदराबाद ने इस दवा को बनाने के लिए टेक्नोलॉजी विकसित की है. टेक्नोलॉजी को एक प्राइवेट कंपनी को ट्रांसफर किया गया है. वहीं, IICT के डायरेक्टर एस. चंद्रशेखर ने बताया कि ये प्राइवेट कंपनी अब क्लिनिकल ट्रायल के लिए अस्पतालों से संपर्क कर रही है. इसके तहत सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा.


ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया के जनरल डायरेक्टर शेखर मंडे के मुताबिक, फैविपिराविर दवा चीन और जापान में इंफ्लूएंजा के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है. वह आगे बताते हैं, 'जब भी एक वायरस एक कोशिका में प्रवेश करता है, तो यह कई प्रतिकृतियां बनाता है. Favipiravir इस प्रतिकृति को बनने से रोकने का काम करता है.'


बता दें कि सीएसआईआर ने अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों में माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू (एमडब्ल्यू) का मूल्यांकन करने और बीमारी के प्रसार को कम करने के लिए कैडिला फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के साथ पहले ही करार कर लिया है. सूत्रों का कहना है कि आईसीएमआर कुछ देसी दवाओं को भी कोरोना के खिलाफ आजमाएगा। इनमें गिलोय, अश्वगंधा आदि प्रमुख हैं.


मंडे आगे बताते हैं कि माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू TH1 और TH2 कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करता है, जो बदले में वायरस से लड़ने में प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करता है. हम इस पर तेजी से काम कर रहे हैं.



इस दवा को रूस, चीन और जापान में फ्लू के इलाज के लिए दिया जाता है. कई देशों में फिलहाल कोरोना के खात्मे की कोई दवा न होने के कारण सर्दी-जुकाम, खांसी और फेफड़ों के रोगों की दवाओं को कोरोना के इलाज के लिए आजमाया जा रहा है. (PTI इनपुट के साथ)