डीएम साहब!जिन श्रमिकों के घर में एक ही कमरा , शौचालय है वे कैसे हों घर में क्वॉरेंटाइन

  जिलाधिकारी फ़ोटो खिंचाने में ब्यस्त ।सरकार के आदेश की हो रही अनदेखी।बाहर से आ रहे मजदूर अपने हाल पर न भोजन न पानी 


सड़क पर लगी लम्बे लम्बी कटारे देखी जा सकती है ।।


हिमांशु श्रीवास्तव
जौनपुर । महानगरों,विभिन्न राज्यों व अन्य जिलों से आ रहे श्रमिकों व अन्य लोगों को गांवों में तो धीरे-धीरे स्कूल इत्यादि में व्यवस्था की जा रही है लेकिन गांव में भी बहुत से लोग किसी न किसी साधनों से आ कर छुप कर  अपने घरों में रह रहे हैं।इसके अलावा सबसे बदतर स्थिति शहर के भीतर की है।इधर तीन-चार दिनों के भीतर शहर के विभिन्न मोहल्लों में सैकड़ों की संख्या में ट्रेन से पंजाब मुंबई व अन्य जगहों से आए जिला प्रशासन को सूचना दी गई।उनकी थर्मल स्कैनिंग की गई लेकिन इसके बाद जिला प्रशासन ने उन्हें अपने घर में क्वॉरेंटाइन में रहने का निर्देश देते हुए छोड़ दिया जोकि जिला प्रशासन की लापरवाही है और इससे गंभीर संक्रमण फैलने की संभावना है ।


   क्योंकि 90 फीसद श्रमिक या कामगार जो विभिन्न मोहल्लों व गलियों में आए हैं,उनके पास एक या दो कमरे हैं लेकिन लेट्रिन बाथरूम एक ही है।ऐसी स्थिति में उनके परिजन और वे स्वयं उसी कमरे व लेट्रिन बाथरूम का इस्तेमाल करेंगे।ऐसी स्थिति में यदि वे कोरोना वायरस से संक्रमित हैं तो पूरा परिवार संक्रमित हो जाएगा।


    भले ही बाहर से आया हुआ व्यक्ति एक कमरे में रह रहा है लेकिन उसके परिवार के लोग अगल-बगल लोगों से मिलजुल रहे हैं।बाहर से आए हुए व्यक्ति के संक्रमित होने पर उसके परिवार तथा परिवार के सदस्यों से पूरी गली और मोहल्ला कोरोना से संक्रमित हो सकता है।ऐसी स्थिति में यह अत्यंत आवश्यक है कि शहर में विभिन्न मोहल्लों में आए हुए लोगों को भी मोहल्लों के आसपास विभिन्न कालेजों स्कूलों,हास्पिटल्स या अन्य स्थान पर शेल्टर होम बनाकर उनके ठहरने की  व्यवस्था की जाए और वहीं पर उन्हें क्वॉरेंटाइन में रहने को कहा जाए अन्यथा स्थिति गंभीर हो सकती है क्योंकि शहर के भीतर मोहल्लों में लोगों के घर आस-पास रहते हैं ।


   गलियों में तो घर बिल्कुल सटे हुए रहते हैं।ऐसी स्थिति में  संक्रमण फैलने में समय नहीं लगेगा और अगर ऐसा हुआ तो जिला प्रशासन हाथ मलता रह जाएगा और सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।