देश की आर्थिक स्वतंत्रता तथा समाज के स्वावलंबन की प्राप्ति के लिए बड़ी संख्या में लघु उद्योग स्थापित करने की आवश्यकता है- मोहनराव भागवत
 

 

 लघु उद्द्योग भारती का रजत जयंती समारोह सम्पन्न


  देश की आर्थिक स्वतंत्रता तथा समाज के स्वावलंबन की प्राप्ति के लिए बड़ी संख्या में लघु उद्योग स्थापित करने की आवश्यकता है।'' उक्त बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कही।

   वे 16 अगस्त को नागपुर में लघु उद्योग भारती के रजत जयंती समारोह के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 1994 में लघु उद्योग भारती की स्थापना हुई थी। इसमें मोरोपंत पिंगले जी का बड़ा योगदान रहा। अपने यहां देश की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने के लिए संविधान है। राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता के लिए संविधान में प्रावधान है। सामाजिक स्वतंत्रता के लिए कुछ निर्देश दिए गए हैं, वह काम समाज यानी हमारा काम है। ईस्ट इण्डिया कंपनी जैसी बड़ी कंपनियां 200 वर्ष पहले नहीं थीं, पर व्यापार तो होता था। उद्यमिता तो थी। उन्होंने कहा कि मनुष्य की आर्थिक स्वतंत्रता का विषय महत्वपूर्ण है। इसका ध्यान पहले से रखा गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र की सत्ता का महत्त्व है। आज अर्थ एक सत्ता है, राज्य एक सत्ता है, सामरिक शक्ति यह सत्ता है, इनका स्वरूप एक-दूसरे से संपर्क में रहे और मानवहित के लिए सदा एक दिशा में चलता रहे। इस मर्यादा तक विकेन्द्रित होने से स्वतंत्रता का लाभ सबको मिलता है और ऐसी स्वतंत्रता आर्थिक क्षेत्र में लानी है तो हमें लघु उद्योग, सूक्ष्म उद्योग, मध्यम उद्योग और कारीगिरी पर जोर देना पड़ेगा।

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार देश के सकल घरेलू उत्पाद में 50 प्रतिशत योगदान सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के क्षेत्र से होना सुनिश्चित करेगी। इसमें पैसे की कमी नहीं होने देगी। केंद्रीय भारी उद्योग राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि सरकार एमएसएमई क्षेत्र की सभी समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयास करेगी। तीन दिवसीय (16 से 18 अगस्त तक) समारोह के एक सत्र में इस क्षेत्र में कार्य करने वाले 40 अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था, जिन्हें रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने संबोधित किया।

समारोह में कलेश्वर (गुजरात) के श्री बल्देवभाई प्रजापति अध्यक्ष एवं सतारा (महाराष्ट) के श्री गोविंद लेले महासचिव निर्वाचित हुए।