विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष
जनसँख्या और देश की नीति बुध्दिमानी का प्रतीक है ..............
आज विश्व जनसँख्या दिवस है अब ये न पूछिये कि आज के दिन क्यों ? बात साफ़ है आपको लगता है कि एक और एक दो होते है पर सरकार जानती है एक और एक ग्यारह भी होता है अब जब दो मिलेंगे तो ग्यारह का दर्शन आप समझ गये होंगे पर मैं आप एक और राज की बात बताता हूँ | सरकार आखिर एक से बढ़ कर लोग बुद्धि लगा रहे है | आई ए एस भी अपनी बुद्धि कर परिचय देते ही रहते है तभी तो यह योजना बनी होगी की जिनके एक या दो बच्चे होंगे उनको वेतन में अतिरिक्त वृद्धि मिलेगी पर जो शादी ना करे या बच्चे न पैदा करे उनके वेतन में कोई वृद्धि नहीं अब आप ही बताइये कोई पागल तो है नहीं जो बच्चे न पैदा करे आखिर उसको अतिरिक्त वेतन वृद्धि जो मिलनी है | अब तो आप जान गए ना की हम जगत गुरु क्यों कहलाये | इस लिए आज ही शादी कीजिये और सरकार की इस अनोखी जनसँख्या नीति का समर्थन कीजिये | और मजे की बात ये कि संविधान के प्रस्तावना में साफ़ साफ़ लिखा है कि हम भारत के लोग ......यानि हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई .आपस में सब भाई भाई | आखिर देश धर्म निरपेक्ष है तो ये क्या बात हुई कि किसी एक धर्म के लोगो की जनसंख्या ज्यादा रहे और किसी की काम आखिर संविधान का अनुच्छेद १४ हम सबको समानता का अधिकार देता है और इसी लिए सरकार ने सब धर्मो को खुली छूट दे रखी है कि जल्दी से जल्दी अपनी जनसँख्या बढ़ा का समानता के स्तर पर आ जाये ताकि कोई धर्म अपने को अल्पसंख्यक न कह सके | आखिर आरक्षण में भी तो सरकार १९५० से यही प्रयास कर रही है कि सभी को अवसर मिल सके तो भला में समानता क्यों नही | और इसी लिए सरकार ने आज तक एक सामान जनसँख्या नीति नहीं बनी क्या अभी भी नहीं समझ पाये कि विश्व में हमारा देश क्यों अनूठा है | और सब जाने भी दीजिये जापान में जनसँख्या नकारात्मक हो गयी है आखिर भूमण्ड़लीकरण के दौर में अगर किसी देश को मानव बीज की जरूरत पड़ गयी तो हमारे देश को बैठे बैठाये एक न बिज़नेस मिल जायेगा | वैसे आज मैंने देखा की बच्चे जनसँख्या जागरूकता का जलूस सड़क पर निकाल रहे थे पर ये बच्चे तो यह भी नहीं जानते कि बच्चे पैदा कैसे होते है और नेता जी वैसे भी यौन शिक्षा के विरोधी है तो ये बच्चे क्या बैल योजना में देश कि तरक्की में योगदान देंगे ? खैर जो भी हो अगर आपको आज के दौर में महंगाई से लड़ना है तो सरकार की मानो और झट पट एक या दो बच्चे पैदा आकर लो कम से कम वेतन में वृद्धि तो हो ही जाएगी | अरे भैया बात तो पूरी सुन लो ये कमरे की लाइट क्यों बुझा ली ? ओह हो जनसँख्या दर्शन समझ गए शायद ? क्या आप भी समझे ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )