कांग्रेस अपने विकाऊ जनप्रतिनिधियों को क्यों नहीं संभालती?


ऐसे तो मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी संकट हो जाएगा।
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राजनीति में ऐसा खेल चलता रहता है, जब बाजार में बिकने के लिए चीज चौराहे पर खड़ी है तो जरुरतमंद लोग तो खरीदेंगे ही। सवाल बिकने वाले पर है कि वह खुद को क्यों बेच रहा है। अच्छा हो कि कांग्रेस अपने बिकाऊ जनप्रतिनिधियों को संभाल कर रखें।



11 जुलाई को संसद परिसर में कांग्रेस सांसदों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने बैठ कर धरना दिया। इस धरने में श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी उपस्थित रहे। आरोप लगाया कि भाजपा के नेता कर्नाटक और गोवा में कांग्रेस विधायकों को खरीद रहे हैं।


 


   भाजपा को लोकतंत्र का हत्यारा बताया। हाल ही के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 302 और कांग्रेस को मात्र 52 सीटें मिली हैं। देश की जनता ने अपनी राय दे दी है। कर्नाटक में कांग्रेस के 14 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन वाली सरकार संकट में आ गई है। इसी प्रकार गोवा में कांग्रेस के 14 में से 10 विधायकों ने अलग दल बना कर भाजपा की सरकार को समर्थन दे दिया है। यह सही है कि 14 विधायकों के इस्तीफे से कर्नाटक में भाजपा की सरकार बनने की उम्मीद है और गोवा में भाजपा की सरकार मजबूत हो जाएगी।


   यदि कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की सरकारें पर संकट में आ जाएंगी।


   एमपी में तो दो-चार कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से ही कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जाएगी, जबकि राजस्थन में ज्यादा मशक्कत होगी, लेकिन जब कर्नाटक में 14 विधायक इस्तीफा दे सकते हैं तो फिर राजस्थान में भी यह फार्मूला लागू किया जा सकता है। राजस्थान में 200 में से 100 विधायक कांग्रेस के हैं, जबकि भाजपा विधायकों की संख्या 72 है, लेकिन मध्यप्रदेश में पूर्व सीएम शिवराज सिंह सक्रिय हैं, जबकि राजस्थान में फिलहाल भाजपा का ऐसा कोई नेता सक्रिय नहीं है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे राजनीति के मैदान से बाहर हैं।


   कांग्रेस नेता भाजपा पर चाहे जितना आरोप लगाएं, लेकिन इस बार भाजपा कांग्रेस की आतंरिक फूट का ही फायदा उठाने में लगी हुई है। कर्नाटक और गोवा में कांग्रेस की आंतरिक फूट ही उजागर हो रही है। चूंकि कांग्रेस में राष्ट्रीय नेतृत्व है ही नहीं, इसलिए प्रादेशिक स्तर पर बगावत के हालात हैं। देखना हैं कि राहुल गांधी कब सक्रिय होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:
कर्नाटक के विधायकों के इस्तीफे के प्रकरण में 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई। विधायकों की ओर से प्रस्तुत याचिका में आरोप लगाया गया कि विधानसभा अध्यक्ष उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए कि सभी विधायक सायं 6 बजे विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष उपस्थित हों, और निर्धारित प्रक्रिया के तहत इस्तीफा दें। फिलहाल सभी विधायक मुम्बई में हैं और उम्मीद है कि शाम तक सभी विधायक बैंगलूरू पहुंच जाएंगे। इस मामले में 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में दोबारा से सुनवाई होगी।