जनपद की चुनावी अंकगणित और कमेस्ट्री में कही भाजपा तो कही गठबंधन तो कहीं कांग्रेस कर रही जीत का दावा

जनपद की चुनावी अंकगणित और कमेस्ट्री में कही भाजपा तो कही गठबंधन तो कहीं कांग्रेस कर रही जीत का दावा*


✍धीरेन्द्र सिंह"राणा"


फ़तेहपुर ! सत्रहवीं लोकसभा के अंतिम चरण के चुनाव की समाप्ति के बाद सभी दलों के नेता, कार्यकर्ता पड़े मतों की समीक्षा में लगे हुए है। ऐसे में प्रत्येक दल के नेता-कार्यकर्ता फ़तेहपुर में भी दलीय अंकगणित व कमेस्ट्री पर जीत और हार की समीक्षा में लगे हुए है। फ़तेहपुर लोकसभा में 2014 के मुकाबले इस बार के लोकसभा चुनाव में कुछ फीसदी कम मत पड़े है और कम हुए मतों को लेकर भी अंकगणित लगाया जा रहा है। इस अंकगणित और केमेस्ट्री को समझने में सभी राजनीतिक लोग लगे हैं। गठबंधन के नेताओ का मानना है कि 2014 में सपा बसपा अलग-अलग चुनाव लड़े थे और उस दौरान साध्वी निरंजना ज्योती चुनाव जीती थी। लेकिन 2019 में ये सभी दल एक साथ चुनाव लड़े हैं तो इस अंकगणित के हिसाब से गठबंधन प्रत्याशी सुखदेव वर्मा चुनाव में भारी मतों से जीत रहे है। वहीं बीजेपी समर्थक अपनी जीत का दावा कर रहे है। बीजेपी समर्थकों का कहना है कि विपक्ष चुनावी अंकगणित लगा रहे है वो गणित कमेस्ट्री के आगे फेल है।


  बीजेपी की कमेस्ट्री ये है कि साध्वी निरंजना के विकास के आगे अंकगणित पर कमेस्ट्री भारी पड़ रही है। विकास के साथ-साथ साध्वी के साथ उनकी जाति का गणित भी लगा हुआ है। इसका फायदा साध्वी को मिलता भी दिख रहा है। फिलहाल ये चुनाव विकास के साथ-साथ जाति समीकरण का चुनाव रहा है और साध्वी के द्वारा जिले में कराए गए विकास को पक्ष और विपक्ष अपने तरीके से पेश कर रहा है। वहीँ बात करें कांग्रेस प्रत्याशी की तो राकेश सचान लोकप्रियता में सभी दलों के प्रत्याशियों से भारी लग रहे है।


   सपा से पूर्व में रहे सांसद राकेश सचान अब सपा छोड़ कर कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं।राकेश सचान की छवि मिलनसार नेता के रूप में की जाती है। इसलिए इनके मैदान में आने से चुनाव में एक अलग मोड़ आ गया है। कांग्रेस प्रत्याशी राकेश सचान के मैदान में आने से गठबन्धन प्रत्याशी की नींद इसलिए ख़राब हुई है क्योंकि दोनों ही एक ही जाति से सम्बन्ध रखते हैं तो वही राकेश सचान की लोकप्रियता भाजपा प्रत्याशी साध्वी को सता रही है। फिर भी यहाँ साध्वी का पलड़ा अन्य प्रत्याशियों से भारी माना जा रहा है। फिलहाल यहां के चुनाव में कांटे की टक्कर मानी जा रही है।


   हालांकि अब ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। चुनावी नतीजों के बीच अब केवल एक रात की बात है। जहा एक ओर इस समय प्रत्याशियों के दिलों की धड़कनों ने स्पीड पकड़ रखी है वहीँ दूसरी ओर प्रत्याशी अपने-अपने ईष्ट देवी देवताओं को मनाने में लगे हैं। अब जो भी होगा आने वाले 23 मई को ही सबकुछ स्पष्ट हो पाएगा की किसकी गणित और केमेस्ट्री सही साबित हो रही है, और किसके भाग्य ने कौन सी करवट ली है।