लखनऊ का वह होटल जो रहा क्रांतिकारियों का ठिकाना,जानें- कैसे खुला ये भेद
स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में लखनऊ का नाम प्रमुखता से दर्ज है। यह शहर कई ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह बना। आजादी की लड़ाई लड़ने वाले ज्यादातर बड़े चेहरों से इस शहर का नजदीकी वास्ता रहा। कई बड़े फैसले भी हुए। शहर के तमाम लोगों ने परदे के पीछे भारत माता की बेड़ियां काटने की लड़ाई में योगदान दिया।

 


इतिहास में ऐसा ही एक नाम दर्ज है अमीनाबाद के गुईन रोड स्थित वैष्णव भोजनालय ‘महावीर होटल का। क्रांति-आंदोलन : कुछ अधखुले पन्ने, पुस्तक के संस्मरण से पता चलता है, ‘अमीनाबाद में स्थित इस भोजनालय के मालिक थे रामप्रसाद मिश्र। मिश्र की छवि घोर अहिंसावादी कांग्रेसी की थी। पर, वे क्रांतिकारियों के घोर समर्थक थे।

खुफिया विभाग के लोगों को पता चला कि इस होटल में क्रांतिकारियों को भी शरण दी जाती है। कई मर्तबा तलाशी ली गई, लेकिन कुछ भी नहीं मिला। सीआईडी स्पेशल ब्रांच का अंग्रेज सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस जॉर्ज डि वैरो पार्किन तिलमिलाकर रह जाता।


इस तरह सच साबित हुई ये बात



खुफिया विभाग में एक अफसर थे नासिर खां। वह काफी चालाक माने जाते थे। उन्हें इस होटल में आने वाले क्रांतिकारियों की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी सौंपी गई। नासिर खां को सूचना मिली कि बंगाल के दो खतरनाक क्रांतिकारी अजय कुमार घोष और एचके मजमूदार आए हैं और होटल में रुके हैं।

नासिर ने पूछा कि हथियार हैं या खाली हाथ। मुखबिर ने बताया कि अभी खाली हाथ हैं। नासिर खां ने खुफिया विभाग के लोगों को साथ लिया और अमीनाबाद पुलिस को बताए बिना होटल पर छापा मारा और क्रांतिकारियों को पकड़ लिया