लखनऊ ,अरुण कुमार सिंह -जवाहर लाल नेहरू ने शेख अब्दुल्ला के इशारे पर कश्मीर जैसा नासूर दिया. कुर्सी डोलती देख इंदिरा गांधी ने ऐसी परिस्थितियां पैदा की कि पंजाब में खालिस्तान की मांग उठी और इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार कराया। आठ जून तक चले आपरेशन ब्लू स्टार में दहशतगर्द तो मारे गए, लेकिन सिखों के सबसे मुख्य आस्था केंद्र पर फौज से हमले का दाग इंदिरा पर लग चुका था. राजीव गांधी की अपरिपक्व कूटनीति के चलते डेढ़ हजार से ज्यादा भारतीय जवानों ने बलिदान दिया और फिर इसी आंच में आखिरकार राजीव गांधी झुलस गए.
शायद ये इस परिवार की परंपरा है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू यानी राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी के नाना ने भी तो यही किया. उन्हीं की देन है कि कश्मीर आज तक जल रहा है. इंदिरा ने अगर भिंडरावाला तैयार किया, तो नेहरू ने शेख अब्दुल्ला. शेख अब्दुल्ला ने तीन स्टेट (यानी भारत, पाकिस्तान और कश्मीर) के सिद्धांत को अपनाया और नेहरू तो अब्दुल्ला के इशारे पर नाच ही रहे थे. शेख अब्दुल्ला का प्रधानमंत्री बनने का सपना साकार करने के लिए नेहरू ने अनुच्छेद 370 को संविधान में शामिल कराया. इस अनुच्छेद का प्रारूप शेख अब्दुल्ला ने तैयार किया था, जो कश्मीर को हमेशा भारतीय पहचान से अलग रखने का इंतजाम भर था.
ऐसा हुआ भी. अनुच्छेद 370 को और ज्यादा व्यापक बनाने के लिए संविधान में एक विशेष प्रावधान 35 ए राष्ट्रपति के आदेश से असंवैधानिक रूप से लागू किया. नतीजा ये कि आज कश्मीर भारत का अंग है, लेकिन भारतीय होने का वहां कोई मतलब नहीं है. न आप वहां बस सकते हैं, न जमीन खरीद सकते हैं, न शादी कर सकते हैं. इस अनुच्छेद 370 और 35 ए ने ही कश्मीर घाटी में बैठे अलगाववादियों की महत्वाकांक्षा को इतना बढ़ा दिया कि आज उनमें से चंद लोग पाकिस्तान की शह पर भारत के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं. यह भी देश देख रहा है कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी पाकिस्तान प्रायोजित जंग में किस तरफ है.