खुलासा स्वीडन की कंपनी के एजेंट थे राजीव गांधी-द हिंदू

विकिलीक्स ने आरोप लगाया है कि इंडियन एयर लाइन्स में काम करते हुए राजीव गांधी स्वीडन की एक कंपनी के लिए एजेंट का काम करते थे। 'द हिंदू' में छपी खबर के मुताबिक राजीव गांधी स्वीडन की साब स्कैनिया कंपनी के साथ जुड़े थे। साब स्कानिया कंपनी भारत को लड़ाकू विमान बेचना चाहती थी


  


     मोदी सरकार पर राफेल सौदे में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली कांग्रेस को विकीलीक्स के खुलासे ने कटघरे में खड़ा कर दिया है। बोफोर्स तोप में दलाली के मुद्दे पर 1989 में सत्ता से हटाए गए राजीव गांधी पर हुए इस खुलासे से एक बार फिर कांग्रेस को “जनता की अदालत” में खींच लिया है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बारे में सनसनीखेज खुलासा किया गया है। विकिलीक्स ने आरोप लगाया है कि इंडियन एयर लाइन्स में काम करते हुए राजीव गांधी स्वीडन की एक कंपनी के लिए एजेंट का काम करते थे।

 

     अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' में छपी खबर के मुताबिक राजीव गांधी स्वीडन की साब स्कैनिया कंपनी के साथ जुड़े थे। साब स्कानिया कंपनी भारत को लड़ाकू विमान बेचना चाहती थी। हालांकि ये सौदा नहीं हो पाया। उस रेस में ब्रिटिश कंपनी जगुआर ने बाजी मार ली। भारतीय जनता पार्टी ने इस खुलासे के बाद कांग्रेस से सफाई मांगी है।

    भाजपा का कहना है कि इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके परिवार को सामने आकर सफाई देनी चाहिए। कुछ समय पहले कुथ लिंडस्ट्रोम ने 'द हूट'वेबसाइट को दिए गए साक्षात्कार में भी दावा किया था कि बोफोर्स तोप सौदे में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के खिलाफ रिश्वत लेने के साक्ष्य भले ही नहीं हैं लेकिन इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोची के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद उन्हें भारत से सुरक्षित बाहर जाने दिया गया।क्वात्रोची के बारे में ये कोई पहली बार खुलासा नहीं हुआ है। राजीव गांधी परिवार से क्वात्रोची के करीबी रिश्तों के बारे में पहले भी तमाम खबरें आती रही हैं।

क्या था मामला

     भारतीय राजनीति में जरा भी रुचि रखने वाला हर व्यक्ति बोफोर्स सौदे में दलाली खाए जाने के बारे में तीन दशक पहले से परिचित है। ये मामला पहली बार 1987 में चर्चा में आया था। उस समय विश्वनाथ प्रताप सिंह राजीव गांधी की सरकार में रक्षामंत्री हुआ करते थे। बोफोर्स तोप में दलाली खाए जाने के इसी मुद्दे पर श्री सिंह राजीव गांधी सरकार से इस्तीफा देकर अलग हुए थे। बोफोर्स तोप में दलाली खाए जाने का मुद्दा जब गर्म हुआ था उस समय राजीव गांधी के पारिवारिक मित्र अमिताभ बच्चन इलाहाबाद से सांसद हुआ करते थे। बोफोर्स सौदे में राजीव गांधी के मित्र अमिताभ व उनके भाई अजिताभ का भी नाम चर्चा में आया था।

      तब वीपी सिंह के आरोप लगाने पर अमिताभ बच्चन ने सांसदी से इस्तीफा दे दिया था। अमिताभ बच्चन के इस्तीफे से खाली हुई इलाहाबाद की सीट के लिए जून-1988 में हुए उप-चुनाव में बोफोर्स में दलाली का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया था। वह उप-चुनाव कांग्रेस की प्रतिष्ठा का चुनाव भी हो गया था। तब वीपी सिंह तमाम विपक्षी दलों को एकजुट करके अपने पक्ष में खड़ा करने में सफल हुए थे और जनता को ये बात समझाने में भी सफल हो गये थे कि बोफोर्स तोप के सौदे में दलाली ली गयी है। वीपी सिंह तब जनता को ये समझाने में भी सफल हो गये थे कि रक्षा सौदों की दलाली के इस धतकर्म में कहीं न कहीं प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी परोक्ष रूप से शामिल हैं। उप-चुनाव में वीपी सिंह लगातार अमिताभ बच्चन की आड़ में राजीव गांधी को ललकारते रहे।

      तब वीपी सिंह की बातों का आम जनता पर जबरदस्त असर देखते हुए अमिताभ बच्चन ने राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी। सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के इस पलायन का भी संयुक्त विपक्षी दल को फायदा मिला और वीपी सिंह उप-चुनाव में कांग्रेस के साम,दाम,दंड,भेद के हर दांव को पछाड़ते हुए विजेता बने। उप-चुनाव में इस जीत से ही वीपी सिंह की छवि में राष्ट्रीय स्तर पर इतना निखार आता चला गया कि अगले साल 1989 में हुए लोकसभा के आम चुनाव में संयुक्त विपक्ष ने विश्वनाथ प्रताप सिंह को नेता मान लिया। वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल ने कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर पटखनी दी और विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के प्रधानमंत्री बन गये। उस चुनाव में तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस का भ्रष्टाचार ही मुख्य मुद्दा बना था। तब बोफोर्स तोप की दलाली को ही चुनाव परिणामों के लिए निर्णायक माना गया। स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स पर भारतीय सेना को तोप सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डॉलर की दलाली चुकाने का आरोप लगा था।

      पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बारे में विकीलीक्स द्वारा किए गए खुलासे को कांग्रेस ने भले ही खारिज कर दिया है, पर पार्टी के सीनियर नेताओं के चेहरे पर उड़ती हवाइयों से साफ लग रहा है कि उनको तीस साल पहले वाला मंजर गहराई से कहीं याद आने लगा है। कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा है कि विकिलीक्स के आरोपों में कोई दम नहीं है। द्विवेदी ने कहा कि एक प्रतिष्ठित अखबार ने अजीब सी खबर छापी है। मैं इसे लेकर निराश हूं। उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इसी रिपोर्ट में नीचे की पंक्तियों में लिखा है कि इन दावों की पुष्टि करने वाला कोई नहीं था। तो यह खबर यहीं आधारहीन हो जाती है। कांग्रेस कितनी ही सफाई क्यों न दे पर पर विकीलीक्स का ये आरोप कांग्रेस पर भारी पड़ने वाला है।

1989 में बोफोर्स मामले में कांग्रेस के पास कोई जवाब नहीं था वैसे ही विकीलीक्स के इस खुलासे के बाद कांग्रेस के पास कोई जवाब नजर नहीं आ रहा है।

  कांग्रेस की गति सांप-छछूदर जैसी हो गयी है। द हिन्दू अखबार की अभी पिछले हफ्ते ही राहुल गांधी स्वयं वाहवाही करते हुए उसकी चर्चा अपने भाषणों में कर रहे थे, जब उसने राफेल सौदे के बारे में कुछ तथ्य छापे थे। सुप्रीमकोर्ट में भी उन तथ्यों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। अब जब उसी अखबार ने राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुए रिपोर्ट छापी है तो कांग्रेस अध्यक्ष को कुछ जवाब देते नहीं बन रहा है।