ये वक्त है अपने को सावित करने का ,जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का....

    लिट्टे किसी जमाने में एक खूंखार आतंकवादी संगठन हुआ करता था।लिट्टे एक मात्र ऐसा आतंकवादी संगठन था जिसके पास स्वयं की वायुसेना और नौसेना थी तथा खुद की स्वतंत्र संचार प्रणाली।


 


  जिसने श्रीलंका के राष्ट्रपति से लेकर विदेशमंत्री तथा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री तक की हत्याओं को अंजाम दिया।लिट्टे और श्रीलंका की सेना के मध्य लगभग तीस साल तक संघर्ष चला।लिट्टे के आतंकवादी किसी घटना को अंजाम देने के बाद बचने के लिए अस्पताल,विद्यालय या स्थानीय ग्रामीणों की आड़ लेते थे और हर बार बचने में सफल हो जाते थे।
तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने एक निर्णय लिया कि जो भी आतंकवादियो को मारने में आड़े आता है पहले उन्हें मारो।जो ग्रामीण इनका बचाव करते है तो पहले ग्रामीणों को ठिकाने लगाओ।
इसका नतीजा हुआ कि लिट्टे वहां इतिहास बनकर रह गया।


   मुझे लगता है कि अब कश्मीर समस्या का हल करने के लिए भारत सरकार को चाहिए कि आतंकवादियो के बचाव में आने वाले पत्थरबाजो और इनको भागने का मौका देने वाले ग्रामीणों को सबसे पहले मौत के घाट उतार देना चाहिए।आज की घटना को अंजाम देने वाले आतंकवादी की मुठभेड़ कुछ रोज पूर्व भारत की सेना के साथ हो चुकी है,लेकिन गद्दार गांव वालों के कारण वो भाग खड़ा हुआ और आज हमारे जवानों के साथ हुई इस दुखदाई घटना का कारण बना।
भाड़ में जाए मानवाधिकार और उसका रोना रोने वाले ,यदि सैनिकों या उनके परिवार का कोई मानवाधिकार नहीं तो हमें भी किसी के मानवाधिकार की परवाह नहीं।
जब लिट्टे जैसा दुर्दांत आतंकवादी संगठन समाप्त हो सकता है तो जैश ए मोहम्मद की क्या बिसात,केवल मोदी जी को राजपक्षे बनना होगा।
ये वक़्त है अपने आप को साबित करने का,देश की उम्मीदों पर खरा उतरने का,हमारे बहादुर सैनिकों के रक्त का एहसान चुकाने का।


पुलवामा अटैक