मधुबनी, बिहार!

मधुबनी, बिहार!


 



अक्सर वर्ण व्यवस्था की चर्चा सुनने को मिलती है! जानकारी के अनुसार मनुष्यों पर ही नही वाल्कि देवताओं, पशु पक्षियों और पेर पौधों पर भी लागूहोती है!
अब सवाल उठती है वर्ण व्यवस्था जन्मजात होती है! अथवा संस्कार के अनुसार!
सामान्य तौर पर वर्ण व्यवस्था जन्म जात होती है किन्तु कुछ विद्वानों का मानना है कि व्यक्ति जन्म से सुद्र होता है (क्योंकि कमर के नीचे का भाग सुद्र के श्रेणी मे आता है और प्रत्येक मनुष्यों का जन्म कटी के नीचे से ही होता है) संस्कारों के फलस्वरूप उसमे ब्राम्हणत्व, क्षत्रियत्व, अथवा अन्य कोटि का भाव आता है क्योंकि जन्मगत विशेषताओं को भी नकारा नही जा सकता क्योंकि बहुत पुरानी कहावत है कि 'खून, अपने खून' (पुत्र, भाई आदि से तात्पर्य) को अपनी ओर खींचता है! वैज्ञानिक भी इस तथ्य को स्वीकारते हैं कि वीर्य (बीज) मे निहित वंशागत गुण धर्म संतान मे पाए जाते है बाहरी संस्कारों मे थोरा बहुत परिवर्तन लाया जा सकता है किन्तु संतान मे उसके माता पिता के गुण विशेष रूप से विधमान रहेंगे!
इसकी सत्यता की जांच आप स्वयं कर सकते है!