कुंभ मेले के दौरान छोटी स छोटी बात का ध्यान रखा गया -नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना
कुम्भ मेले के आयोजन का जिम्मा उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास विभाग पर है. नगर विकास विभाग की तरफ से 2 हजार 9 सौ करोड़ रूपये के बजट का प्रावधान किया गया . इस बार गंगा जी में प्रदूषण रोकने के लिए हर संभव उपाय किए गए। अखाड़ों के साधु - संतों के साथ ही आम तीर्थ यात्रियों के लिए भी ख़ास इंतजाम किया गए हैं. पहली बार 20 हजार लोगों के ठहरने के लिए पंडाल बनवाया गया है. नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना से हुई  विशेष बातचीत के प्रमुख अंश -

नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना

 

कुम्भ और महाकुम्भ छठे और बारहवें वर्ष गंगा - यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के तट पर आयोजित होता है. इस बार कुम्भ मेले के आयोजन में सरकार का प्रयास देख कर ऐसा लगता है कि यह कुम्भ मेला पिछले कुम्भ मेले से एकदम अलग है कैसे ?

कुम्भ मेला एक आध्यात्मिक एवं सांकृतिक धरोहर है. अब यूनेस्को ने भी स्वीकार किया है कि कुम्भ मेला भारत की सनातनी परम्परा का प्रतिरूप है. सर्वसमाज, कुम्भ मेला में एकत्र होता है. उसके तीन उद्देश्य है – स्नान, दान और ध्यान. 1,500 वर्षों का इतिहास हमारे सामने है. राजा हर्षवर्धन से लेकर अब तक के इतिहास में यह दुनिया का सबसे बड़ा मेला है जिसमें दुनिया के लोग स्वयं की प्रेरणा से स्नान करने आते हैं.पिछले महाकुम्भ - 2013 के मुकाबले में वर्तमान कुम्भ परिसर काफी बड़ा है. वर्ष 2013 का महाकुम्भ 17 सौ हेक्टेयर में था.इस बार इसका क्षेत्रफल 32 सौ हेक्टेयर में है.

 

कुम्भ मेले में सुरक्षा और बेसिक जरूरतों के लिए सरकार ने क्या इंतजाम किया है ?

जितनी भी बेसिक जरूरत हैं. उसका विशेष रूप से ध्यान रख कर उसे पूरा किया गया है मिसाल के तौर पर सुरक्षा. मेला में सुरक्षा के ए 40 थाने बनाये गए हैं . तीन महिला थाने बनाये गए हैं. 20 हजार पुलिस कर्मी लगाए गए हैं. 20 कंपनी पी. ए. सी. लगाई गयी है. 70 कंपनी पैरा मिलेट्री फ़ोर्स लगाई गयी है. पूरा मेला सी. सी. टी. वी. की निगरानी में है. इंटिग्रेटेड कंट्रोल रूम एवं कमांड सेंटर की स्थापना की गयी है.

कुंभ मेले के आयोजन के लिए प्रदेश सरकार ने कितना बजट दिया है ?

2900 करोड़ रूपए प्रदेश सरकार ने दिए हैं. भारत सरकार के कई मंत्रालयों ने बहुत सहयोग किया है. पूरी की पूरी एक मिनी टाउनशिप विकसित की गयी है. 46 हजार एल.ई.डी. लाइट लगाई गयी हैं. 22 पान्टून पूल बनाये गए हैं. श्रद्धालुओं के आवागमन को सुविधाजनक बनाया गया है. इस बार कुम्भ का नया ‘लोगो’ बनाया गया है. लेजर शो और अत्याधुनिक विधि का प्रयोग किया जा रहा है ताकि यह कुम्भ मेला लोगों के लिए यादगार रहे.

 

इस बार के कुम्भ मेला में पहली बार ऐसा देखने को मिला कि प्रदेश सरकार की तरफ से अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को निमंत्रण भेजा गया ऐसा क्यों ?

उत्तर प्रदेश की सरकार की तरफ से भारत के अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को निमंत्रण दिया गया है कि वो लोग कुम्भ में आकर स्नान करें साथ ही कुम्भ की दिव्यता और भव्यता को महसूस करें

 

कुम्भ में करोड़ों लोग आते हैं , इनके आवागमन के लिए सरकार ने क्या इंतजाम किया है ?

पहली बार मात्र डेढ़ वर्ष के भीतर , 9 फ्लाई ओवर बनाये गए हैं. 264 सड़कों को चौड़ा किया गया है. 64 चौराहों का सौंदर्यीकरण किया गया है. हर चौराहे को एक नयी पहचान दी गयी है हर चौराहे पर कुछ ना कुछ प्रतीक लगाया गया है. 71 देशों के राजदूत आये थे, कुम्भ के बारे में जानने के लिए , कुम्भ कैसा लगता है , कैसे इतनी बड़ी संख्या में लोगों का प्रबंधन किया जाता है.वो सभी लोग संतुष्ट होकर गए .

साधु - संतों की हमेशा से यह मांग रही है कि गंगा जी की धारा निर्मंल और अविरल रहे , इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार कितनी गंभीर है ?

जितने भी नाले नदियों में गिर रहे थे, उसके लिए कई प्रकार की व्यवस्था हम लोगों ने की है. करीब 32 नालों को टेप किया गया है. बायो रेमेडियल और माड्यूलर विधि से इन नालों के गंदे पानी को शोधित किया जा रहा है. प्रयागराज में कुल 5 नाले ऐसे हैं जो साढ़े चार एमएलडी ( मिली लीटर डेली) वाले हैं. इनके गंदे पानी को माड्यूलर विधि से शोधित किया जा रहा है . 46 नाले जो हैं उनका गंदा पानी शोधित करके नदी में छोड़ा जा रहा है.

वर्ष 2013 के महाकुम्भ में भगदड़ हुई थी, इसकी रिपोर्ट भी आ गयी है. इस बार भगदड़ न होने पाए, इसके लिए क्या इंतजाम किए गए हैं ?

वर्ष 2013 की तरह कोई भगदड़ न हो. इसका ध्यान रखा गया है. पिछली बार कोई पार्किंग स्थल नहीं बनाया गया था. इस बार 5 लाख वाहनों की पार्किंग का इंतजाम किया गया है. हमारी कोशिश है कि जाम न लगने पाए. आर. ओ बी बनाये गए हैं . अंडर पास बनाये गए हैं. रेलवे का विशेष सहयोग है. सवा साल के अन्दर ये सब काम तैयार हो गए.