देश युद्ध के मुहाने पर और वामपंथी मीडिया की ओछी पत्रकारिता

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। एक तरफ पूरा देश एकजुट है और पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग कर रहा है तो दूसरी वामपंथी मीडिया है जो अभी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। देश युद्ध के मुहाने पर है, और वामपंथी मीडिया देश तोड़ने और मनोबल गिराने वाली पत्रकारिता कर रहा है।



   एक बेवसाइट है “द वायर” है जिसमें “शॉट सर्किट” हो गया है। पोर्टल ने अपने एक आलेख का शीर्षक लगाया है – “क्या पाकिस्तान मोदी की जीत के लिए जैश-ए-मोहम्मद का इस्तेमाल कर रहा है”। वायर के आलेख में नीचे लिखा है - “पाकिस्तान को मालूम है कि प्रधानमंत्री मोदी की स्थिति इस बार उतनी मजबूत नहीं है जितनी पांच साल पहले थी और वे कठिन मुकाबले का सामना कर रहे हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पाकिस्तान मोदी की एक और जीत पक्की करना चाहता है। पाकिस्तान के सांप्रदायिक एजेंडे के लिए मोदी की एक और जीत से अच्छा और कुछ नहीं हो सकता है। उनकी नीतियों ने पाकिस्तान की परमाणु छतरी के तले के हत्यारे लड़ाकों में फिर से जान डाल दी है”। यह किस किस्म की पत्रकारिता है। इस तरह की पत्रकारिता से क्या संदेश दिया जा रहा है।



 
ऐसी ही एक और वामपंथी वेबसाइट है जनज्वार। जब उसे कुछ नहीं सूझा तो लिखा– “हमारे देश में पाकिस्तान पर हमले के नाम से जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है वह एक वीडियो गेम का कट-पेस्ट है”। वायरल कौन कर रहा है? जब हमने इस आलेख के साथ लगाए गए वीडियो के आधार पर खोजबीन की तो पता चला कि इसे वायरल करने वाले खुद पाकिस्तानी हैं। भारतीय वायुसेना ने आधिकारिक तौर पर कोई विडियो जारी नहीं किया है, न ही सरकार ने। कुछ पाकिस्तान से सोशल मीडिया पर चले हुए विडियो वायरल हुए हैं अथवा पाकिस्तान से जारी घटना स्थल की तस्वीरें जिनका उद्देश्य भारत की कार्रवाई को कमतर कर के दिखाना और सिद्ध करना है कि भारत हमें पीट कर गया है लेकिन कुछ हुआ नहीं। बहरहाल इन वेबसाइटों की सामग्री को हल्के में मत लीजिये क्योंकि यह विद्वेष का राजनैतिक मसाला प्रदान करने के उद्देश्य से जानबूझ कर तैयार की जाती हैं।

 

किसी देश की संप्रभुता तभी अक्षुण्ण रह सकती है जब वह शांतिप्रिय हो लेकिन तुलसीदास की इन पंक्तियों का आत्मसात भी उसके पास रहे –



““विनय न मानत जलधि जड़, गये तीन दिन बीत। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होहिं न प्रीत”। ”

 

     

    देश की सीमाओं के भीतर जवान मारे जाते रहें तो हाथ पर हाथ रख कर बैठना कायरता है। भारत एक आक्रमणकारी देश नहीं, अन्यथा परमाणु युद्ध की गीदड़ भभकियों के बावजूद कटोरा ले कर दुनिया में घूमते आतंकवादी देश पाकिस्तान का सिंध, बलूचिस्तान और कश्मीर अलग अलग होने में भी घंटों ही लगने हैं। इस तरह के उत्तर आवश्यक थे इस लिये भारतीय एयरफोर्स का आभार। हमारे देश की सीमाओं के भीतर भी हमारे शत्रु हैं यदि हम ऐसे आलेखों और इन्हें लिखे जाने के पीछे की मंशाओं को स्पष्ट समझने लगेंगे तो “बौद्धिक आतंकवाद” शब्द की परिभाषा अधिक साफ होगी साथ ही आंतरिक तौर पर देश सतर्क होगा।